मुकद्दमा-ए-इश्क

मुद्दतों बाद भी तेरे मुन्तजिर, तेरी राह तक रहे हैं,तू वापस लौट आये, हमारी दुनिया इंक़लाब हो जाएगी.वक़्त करेगा हमारे क़त्ल की साजिश,तू भी जरा सी पहल कर दे, कामयाब हो जाएगी.छोड़ो भगवा, हरी पोशाक, सियासत के रंग हैं ये,इन्सान बन जा, रब से सच्ची फरियाद हो जाएगी.पलकों को नींद से शिकवा है, तिरे ख्वाब … Continue reading मुकद्दमा-ए-इश्क