तेरे वास्ते

दरकार थी इक अदद जीत की तुम्हें,ख़ुदी को खुद से हराया करते हैं.रिश्ते को अहमियत देते हो कुंवर,पैसे की खातिर अपने पराये हो जाते हैं.मिलता है मिजाज़ इन बादलों का तुमसे कुंवर,कभी गरज़ के बरसते, कभी हवा से रुख़ बदल लेते हैं.एक पत्थर दिल इन्सान मिला, आज़ाद था, बेफिक्र थाछेनी हथौड़ी की मार पड़ी, बुत … Continue reading तेरे वास्ते