दरकार थी इक अदद जीत की तुम्हें, ख़ुदी को खुद से हराया करते हैं. रिश्ते को अहमियत देते हो कुंवर, पैसे की खातिर अपने पराये हो जाते हैं. मिलता है मिजाज़ इन बादलों का तुमसे कुंवर, कभी गरज़ के बरसते, कभी हवा से रुख़ बदल लेते हैं. एक पत्थर दिल इन्सान मिला, आज़ाद था, बेफिक्र … Continue reading Tere waste
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed