मानसून: जीवन का रूपक

“एक पईसा की लाई, बाजार में छितराई, बरखा उधरे भिलाई।” बचपन से मानसून का सामना इन्हीं पंक्तियों के स्वतः उच्चारण के साथ होता था। मौसम की पहली बारिश के साथ ही धरिणी की शुष्क तपिश शांत होती है और एक नया चक्र प्रारंभ होता है; तापमान में कमी एवं बारिश का। बारिश जो यदा-कदा मूसलाधार गर्जन के साथ … Continue reading मानसून: जीवन का रूपक