विशिष्टाद्वैतवाद : एक दर्शन

कुछ दिनों पहले अली सरदार जाफरी साहब द्वारा रचित पुस्तक कबीर अमृत वाणी पढ़ने का सुअवसर मिला। काफी अच्छा लगा। एक बात गौर करने वाली मैंने देखी इसमें जो परमात्मा के स्वरूपों की व्याख्या कर रही थी। पुराने समय से ही हमारा समाज आत्मा और परमात्मा के स्वरूपों की व्याख्या के जंजाल में फँसा है। … Continue reading विशिष्टाद्वैतवाद : एक दर्शन