चंद ख़यालात

ठोकरें इन्सान को चलना सिखाती हैं, सुना,हम बेखबर, हमें रहबरों पर ऐतबार है.वो चाँद हैं, खुशशक्ल हैं, आसमान में उनकी रौनक है,फिर भी हमें इसका इल्म है की उनका दामन दागदार है.शहीदों के कफ़न को नीलाम कर खद्दर खरीदी है,ये सियासतदां ठहरे, जम्हूरियत की सरकार है.हुश्न-इश्क-दौलत सब कुछ हासिल किया, खोया,ऐ नाज़नीन अब हमें माँ … Continue reading चंद ख़यालात