अतिथि देवो भवः

Tryambak Srivastava Avatar
अतिथि देवो भवः

पुराने वेद उपनिषदों के संस्कार का मूल हमने यही सीखा। एक अखण्ड भारतीय संस्कृति जिसे हम कालांतर से साझा करते आ रहे है. मोहन-जो-दड़ो एवं हड़प्पा की संस्कृति, वेद पुराणों की संस्कृति जिसे “टू नेशन थ्योरी” ने भारत और पाकिस्तान का नाम दिया। एक अखण्ड हिन्दोस्तान का सपना जो ऋषि-मुनियों से सोचा, हमारे शाषकों ने जिया और दारा शिकोह ने यूनाइटेड हिन्दोस्तान के लिए खुद को कुर्बान किया। मज़हबी और सियासी हालत बदलते रहे, सभ्यता और संस्कृति पश्चिम का अन्धानुकरण करती गई। हालत और परिस्थितियों ने ढाला, और हम ढले। एक सीधी रेखा, साझा रहन-सहन, आचार-विचार डाइवर्ज होता गया, हम अपनों से पराये होते चले गए।
भारत और पाकिस्तान दो देश, एक संस्कृति के वाहक ही नहीं एक वंशगत परंपरा की निशानी भी हैं। विभाजन के बाद ऐसा नहीं है हालत अच्छे रहे। झगड़े हुए, परस्पर प्रतियोगिता बढ़ी, एक दूसरे को नीचा दिखाने की नायाब कोशिशे हुईं। भारत ने छोटी रियासतों का विलय किया, पाकिस्तान ने कश्मीर का, पाक अधिकृत कश्मीर। भ्रष्टाचार और वंशावली शासन, निरंकुशता में सतत् बढ़ोत्तरी होती गई। आतंकवाद के शिकार दोनों हैं ही। एक तालिबानी सैनिकों से जूझ रहा है, दूसरा आतंरिक नक्सलवाद से। हाँ, एक चीज ऐसी रही जिसमे दोनों देशों ने बेतहाशा तरक्की की, नाम और पैसा कमाया, क्रिकेट। कहना न होगा दोनों देशों में क्रिकेट मज़हब से बढ़कर है। और इस प्रतियोगिता में अगर दोनों आमने सामने हों तो फिर क्या कहने। रोमांच से इतर इसका दुखद पहलू यह है कि दोनों तरफ से इसे खेल कम ज़ंग ज्यादा समझा गया। पाकिस्तान के लिए यह जीत ज्यादा मायने इसलिए रखती है की वह युद्ध के मैदान में कुछ न जीत सका तो सारी जान जीत के लिए लगा देता है। भारत इस प्रतिस्पर्धा को इस कसौटी पर क्यों कसता है, यह बात समझ से परे है।
दुखद तथ्य यह है कि दोनों देश हर एक समस्या का समाधान करने ‘बातचीत’ की वकालत करते हैं और इन्ही मौकों पर मौन हो जाते हैं। हम वही सीखते हैं जो हमें पढाया जाता है। मुझे याद है मैंने अपनी टेक्स्ट बुक में विभाजन को ट्रेजेडी के रूप में पढ़ा जबकि सरहद पार ऐसा कुछ नहीं है। उन्हें तकसीम फतह के रूप में दर्शाया गया है। (हालाँकि यह फतह ‘एविल हिंदुज’ के ‘अगेंस्ट’ में है।) खैर! भारतीय इतिहास ने जिन्ना और इकबाल पर चुप्पी साधी और पाकिस्तानी पुस्तकों ने गाँधी और नेहरु को ‘विलन’ ‘प्लाट’ किया। वस्तुतः इन अतीत के गुनाहों का फैसला करने का हमारा कोई ‘प्वाइंट’ नहीं बनता। हाँ, मगर सकारात्मक सोच से परस्पर मधुर सम्बन्ध बनाये जा सकते है। ‘बर्किन बैग्स’ की दीवानी हिना रब्बानी खार ने इस दिशा में कदम उठाये। पाकिस्तान ने भारत को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा दिया, भारत ने ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती की राह सुगम की, वीजा नियमों में रियायत दी।
हालात चाहे जो भी रहे हो, दोनों देश के पास एक ऐसी चीज है जिसपर वे दोनों नाज़ कर सकते हैं, वो है उनकी सेना। मिलिट्री ने नई आइडियोलॉजी स्थापित की। अपनी मिट्टी पर कुर्बान होने की शिद्दत ने उन्हें आम जनों के दिलों-दिमाग में स्थापित किया। आर्मी ने समय रहते देश की लाज बचायी। हालाँकि कुछ दिनों पहले सेना में एक दुर्घटना घटित हो गयी। दो भारतीय जवान बॉर्डर के पास बर्बरता से क़त्ल किये गए। शहीद हेमराज का सर भी गायब है। परिस्थितियाँ यहीं बदल जाती है। सलमान खुर्शीद और केंद्रीय मंत्रीमंडल मानो इसी ताक़ में बैठा हुआ था। खार ने भारत को युद्ध के लिए उकसाने वाला देश बता डाला। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। मनमोहन सिंह “ठीक है” से साइबर वर्ल्ड में आलरेडी फेमस हो चुके हैं। दिल्ली बलात्कार कांड से भद्द पिटा चुकी सरकार ने फ़ौरन प्रतिकिया दिखाई। पाकिस्तानी सांस्कृतिक ग्रुप को फौरन उनके वतन भेज दिया गया। हॉकी इंडिया लीग के खिलाडियों का भी वीजा कट गया। कुछ दिनों पहले गृहमंत्री शिंदे के बयान ने उन्हें संघ का ‘चहेता’ बना डाला।
आज शाम भुबनेश्वर की गलियों में ज्यादा पुलिस फ़ौज देख मुझे ताज्जुब हुआ। एक पुलिस के जवान से पता चला ये सभी पाकिस्तानी महिला क्रिकेट टीम की सुरक्षा के मार्फ़त तैनात है। सदमा सा लगा, बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है जैसी सोच पालने वाले मेजबान अत्याधुनिक हथियारों से लैश हैं। सोचा थोड़ी देर इंतजार कर लूं। वो आये और मैं सेना की साज-सज्जा एवं आवरण देखता रह गया। अफ़सोस मगर, शौक-ए-दीदार अधुरा-सा रह गया।
इन सब के गर्भ में एक प्रश्न छुपा रहा, आखिर कब तक हम इस प्रकार के वैमनस्य की धूल फांकते रहेंगे? सियासी मतलब साधने के लिए माँ के दूध का समझौता आखिर कोई होशियारी की बात नहीं ठहरी? परमात्मा सद्बुद्धि दें।
जय हिन्द।

Police guarding the streets for Pak team

© त्र्यम्बक श्रीवास्तव

28 जनवरी 2013

भुबनेश्वर

4 responses to “अतिथि देवो भवः”

  1. ..........Saurabh.......... Avatar

    Its amazing bro…..nice 2 see u in ur most efficient shade….History,past and present with urdu…seems vastly gone through Kamleshwar , dushyant huh?? Congrts!!for d new beginning.. anxiously waiting for d next… 🙂

  2. Tryambak Srivastava Avatar

    Thanks dude.! Glad you liked it and am able to write such impressive stuff to make you praise me. Yeah Kamaleshwar and Dushyant Kumar prevails the memory. And tried to imitate the writing skills of Khushwant Singh. Anyways thanks for for raising the thumb. Would love to write more. Gracius Bro.!

  3. ..........Saurabh.......... Avatar

    Ohhh, u deserve this…. 🙂 🙂

  4. Tryambak Srivastava Avatar

    Shukriya bhai. Kind words of inspiration from you.

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