नाना. लिखे से पहिले कई तरह के भाव उमड़sता. आज के दिने उन्हां के जन्म भईल रहे. आज नाना के ८०वां सालगिरह हs. गंभीरता और ज्ञान के प्रतिमूर्ति नाना पर कुछ विचार साझा करे चाहsतानी. लईकन के लईकाई बीत जाला बाकि ममहर आ छोट पर के खेलौना ना भुलाला. पथरदेवा कम बाकि तुर्-पट्टी के बहुत याद कैद बा. बचपन के खेलौना में नाना के हीं दिहल साईकिल याद आवेला. बड़ भईला पर ले हम ओके घिसियइले बानी जबले ओकर कचूमर ना निकल गईल आ मम्मी लुकवा के धs देहली. जहाँ से हमके याद आवता की नाना के इन्हां (हमनी के “नानी घरे” कहेम जा) जाए के बड़ा मन करी. बहुत प्यार मिलो. जाते ही डैडी “कितना प्यारा नानी का घर, हमको मिलती मौज वहां पर” गाये के कहेम. हमुं ना नुकुर कईला के बाद एकसुरिये पूरा बांच देम. नाना के हमरा लजइला पर बड़ा खीस बरी. बार बार कहेम आ गाँव के लोग के सोझा बात कहे खातिर बहुत डांट खइले बानी हम. बाबु मामा (हमनी के प्रिय मामा जे बड़का वकील बन गइल बाणे बाकि बाबुए मामा कहालन) गेंदा ले आ आ दिहें जौन हम पथरदेवा के इनरा पे कुद्का कुद्का के खेलल करेम.
बहुत संघर्ष करके नाना आगे बढल रहनी. कई गो बात उंहा के अपना जमाना के बतायेम. बहुते गरीबी रहे. खाईल ले दूभर रहे. ओ घरी के लईका लो रोटी के कवर ले के अंजुरी में झूठो बोर के खाओ जैसे सब्जी रोटी खाता. बाकि मम्मी के छोट पर पथरदेवा के एगो मिठाई के दोकान पs उठावना कs देले रहनी जेतना मिठाई खाए के बा खा. घर परिवार के सम्हारत सम्हारत नाना बी.एड. कईनी जौन ओ जमाना में ओ क्षेत्र खातिर बहुत बड़का बात रहे. एहिसे उहां के अपना प्रोफेशनल जीवन में बीएडी माsट साहेब कहईनी. हsम त ना लेकिन हमार मम्मी-डैडी नाना के पढ़ावल ह लो. डैडी कहेनी की नाना जब पढ़ावल शुरू करीं त पूरा क्लास मन चित्त लगा के उन्हा के लेक्चर सुनो. पिन ड्राप साइलेंट जौन कहाला नु, उहे हो जाओ.
बचपन में हमार आ चुलबुल के नवोदय में एडमिशन भईल. नाना से ज्यादा खुश केहू ना रहे. सब केहू से नाना अपना नाती नातिन के बारे में बतावल करेम. ओतने ले ना, हमनी के हरेक पढाई लिखाई आ तरक्की पर नाना सबसे ढेर खुश होखेम. आगे बढ़ला प बहुत राय दीं. हमार एम्स में भईल बा इ बात नाना के बतावे में बड़ा सुकून मिलल. दीदी आंगनवाड़ी में सुपरवाइजर के पोस्ट से इस्तीफा दे देहली त खिसियाइलो रहनी. हालाँकि बाद में उनकर इंटर कालेज में बहाली हो गईल. उ अपना कॉलेज के लेक्चरर संहतिया सिंह जी नाना के संगे दीदी के शादी के बात करे गईल रहनी. सिंह जी नाना कंही की अंशु के मम्मीयो खातिर आ इनको खातिर हमहीं देखनहरू बन के गईल रहनी. उनका शादी में अबे हमनी के घर ना बनल रहे. नाना बहुत संबल देनी सबके. तम्बू गाड़ के शादी होइ लेकिन होखो. बाद में नाना घर देखे भी अइनी. दुःख सुख में मजबूत खाम्हा जइसन नाना खाड़ा रहेम. बचपन में हमनी के बीमारी भईल त केतना बार पी.जी.आई. लखनऊ गईनी अईनी आ देखभाल कईनी.
नानी जबले जियत रहली त हमनी के जाए के बहुत बान रहे. साल में दू गो छुट्टी त होखबे करो ओकरा अलावा भी बियाह शादी में खूब जाईं जा. नानी अगुवाई बड़ा अच्छा करस. उनकरा जइसन मछरी आजो केहू ना बना पावेला. छोट भईला के इ नुकसान हs की हमरा बहुत कम मौका मिलल बा नानी संगे रहला के. एक बार जाड़ा में चुलबुल आ अंशु दीदी नानी कींहाँ गईल रहे लो. भर सर्दी ओहिजा रही के खूब राज भोगल लो. हमरा बचपन के ई ईगो बहुत बड़ा अफ़सोस के बात रहेला कि हम ओ छुट्टी में नानी कींहाँ ना जा पईनी. नानी के गईला के बाद हमनी के ओइजा जाए के कार्यक्रम कम होत गईल. शायद बड़ होत गईनी जा आ ब्यस्तता बढ़ गईल. नानी के ना रहला के असर नाना पर सबसे बेसी दिखल. ओकरा बाद बहुत कमजोर होत गईनी. पार्किन्सन भी हो गईल रहे बुढौती में. साफ सफाई के बहुत पाबंद रहीं नाना. उमर हो गइला के बादो रोज दाढ़ी बनाइं.
हमके परोरा नीक ना लागेला. एक बार नाना के संगे खाए बईठल रहनी. मामी संजोग से परोरा बना देले रहली. नाना ना मननी आ बरियाई से परोरा रोटी हमरा के खियाईये के मननी. नाना के कोठरी हमरा खातिर ज्ञान के बहुत बड़का खजाना रहे. लईकाई पर ही हम रामायण आ महाभारत पढ़ गईल रहनी. एगो डायरी रहे नाना की लगे जेमे उ बहुत ज्ञान के आ यूनिक बात लिखेम. अमेरिकी प्रेसिडेंट अब्राहम लिंकन और जॉन केनेडी के समानता के बारे में ओ डायरी से हमके पता चलल. एगो औरी बात मन परेला की पटीदारी में केहू के बियाह रहे त सब लईका खाए पिए फोटो खिंचाये में ब्यस्त रहला सन बाकि हम गीता प्रेस के किताबे में मगन रहनी. ई बात सोच के अब हंसी आवेला की जब्बो नानी किहाँ से आवे के रहो हम कुछु न कुछु ले के भागेम. एसे अलावा नाना के पूजा पाठ में भी बहुत रूचि रहे. तुर्-पट्टी के सूर्य मंदिर के स्थापना आ व्यवस्था समिति में नाना बहुत योगदान देले बानी. ओमे स्थापित हनुमान मूर्ति नाना नानी इलाहबाद या बनारस से ले आइल रहे लो. एगो नाना के एटलस साइकिल रहे. टिंकू के अनुसार उ सइकिलिया पानी जइसन चले. नाना पुरनका फिलिम कुल के बहुत शौक़ीन रहनी. उहाँ के संहे कई गो फिलिम देखनी. ओ जमाना के हीरो हेरोइन के खिसा सुनायेम. बलराज साहनी के फैन रहनी नाना. मदर इंडिया आ खानदान नाना देखइनी. खानदान देख के त हम लुका के रोवलो रहनी.
नाना के ना रहला पर तुर्-पट्टी सुनसान हो गईल बा. अब बाबु मामा मामियो ओहिजा कमे रहेला लो. मम्मी-मौसी के संगे ओइजा दुवारे खटिया पे बईठ के भुजा खाईल हमेशा याद रही. पता ना फेर कब अइसन मौका आई. इहे नु जीवन हs. हम दुसरका जीवन और स्वर्ग नरक में ना बिस्वास रखेनी. विज्ञान ना नु मानेला. बाकिर फेर कबो लईकाई होई त नाना के खोजेम.
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.