गाथा एक महामानव की

इस कथानक के महानायक अलौकिक एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं। इनकी वास्तविकता से सच्चाई इतनी ही है जितनी परियों की कहानी, जितनी सैंटा क्लॉज़ के उपहार, या फिर हमारे हीरो की इज्जत। कृपया इसे इतर ना लें। यह हमारा अहोभाग्य है कि इस महाप्राण के कदम धरती पर पड़े। अगर आप Read more…

नाना

नाना. लिखे से पहिले कई तरह के भाव उमड़sता. आज के दिने उन्हां के जन्म भईल रहे. आज नाना के ८०वां सालगिरह हs. गंभीरता और ज्ञान के प्रतिमूर्ति नाना पर कुछ विचार साझा करे चाहsतानी. लईकन के लईकाई बीत जाला बाकि ममहर आ छोट पर के खेलौना ना भुलाला. पथरदेवा कम Read more…

मानसून: जीवन का रूपक

“एक पईसा की लाई, बाजार में छितराई, बरखा उधरे भिलाई।” बचपन से मानसून का सामना इन्हीं पंक्तियों के स्वतः उच्चारण के साथ होता था। मौसम की पहली बारिश के साथ ही धरिणी की शुष्क तपिश शांत होती है और एक नया चक्र प्रारंभ होता है; तापमान में कमी एवं बारिश का। बारिश जो Read more…