विशिष्टाद्वैतवाद : एक दर्शन

कुछ दिनों पहले अली सरदार जाफरी साहब द्वारा रचित पुस्तक कबीर अमृत वाणी पढ़ने का सुअवसर मिला. काफी अच्छा लगा. एक बात गौर करने वाली मैंने देखी इसमें जो परमात्मा के स्वरूपों की व्याख्या कर रही थी. पुराने समय से ही हमारा समाज आत्मा और परमात्मा के स्वरूपों की व्याख्या Read more…

ज्योतिर्मा तमस गमय

इस संसार में सारी स्थितियां अपने साथ एक नकारात्मक भाव रखती हैं. सुख है, तो दुःख भी, अमीरी के साथ गरीबी सन्निहित है, यथा ही प्रकाश के साथ अंधकार भी सतत गतिमान है. इसी सन्दर्भ में स्मरण में आते हैं अँधेरे के कवि, फ़िराक गोरखपुरी जी. फ़िराक साहब ने अपनी Read more…

Welcome

Well, this happens to be the very first blog I am writing here. It seems to be short but will continue later on.I will be posting my ideas and thoughts on the microblogging site, Twitter. so follow me there on Twitter@imtryam. Thank you. Regards,Tryambak Srivastava