Poetries
विश्वास नहीं होता
हमारे चेहरे से दिल के भाव पढ़ लेती हो,माँ, ये तुम खुद हो, या ख़ुदा, विश्वास नहीं होता। “लड़कों से गलतियां हो जाती हैं,”ये मुल्क की सरकार चलाते हैं, विश्वास नहीं होता। मानवी सबंधों की क्या बानगी दे ज़नाब,”ओल्ड एज होम” खुल रहे हैं कस्बों में; विश्वास नहीं होता। शायर शब्द से, पहलवान Read more…