स्तन कैंसर: भारतीय परिपेक्ष्य में प्रबंधन एवं निदान

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स्तन कैंसर: भारतीय परिपेक्ष्य में प्रबंधन एवं निदान

क्या आपने कभी कैंसर ट्रेन का नाम सुना है? अजीब है ना? भटिंडा, पंजाब से राजस्थान के बीकानेर शहर के बीच चलने वाली एक दैनिक रेलगाड़ी अपने 12 डिब्बों में 60 प्रतिशत से ज्यादा कैंसर पीड़ितों और उनके तीमारदारों को लेकर चलती है। मोहिंदर सिंह भी अपनी धर्मपत्नी बलबीर कौर के साथ इसमें यात्रा कर रहे हैं। शुरुआती जाँच में डॉक्टर ने उनकी पत्नी के दायें स्तन में गांठ होने की बात कही थी। यह गांठ शुरू में छोटी थी जिसमे कोई खासा दर्द नहीं था, जिसे शुरुआत में टाल दिया गया। परन्तु समय के साथ यह गांठ बड़ी और दर्दनाक होती गई जिसकी वजह से बलबीर जी को परेशानी उत्पन्न होने लगी। मैमोग्राफी एवं दुसरे जाँच से पता चला की यह एक बड़े कैंसर का रूप ग्रहण कर चुका है। पुरे परिवार में आपा-धापी मच गई। स्थानीय स्तर पर कोई कैंसर का बड़ा अस्पताल ना होने से उनका इलाज बीकानेर में कराने का निर्णय लिया गया।

ये सिर्फ पंजाब या राजस्थान की नहीं, अपितु देश के सम्पूर्ण भूभाग की सच्चाई है जहाँ हमारे देश की आबादी का एक खासा हिस्सा इसकी चपेट में आ रहा है। किसी भी बड़े तृतीयक अस्पताल में चले जाइये, कैंसर मरीजों की भीड़ और उनके स्वास्थ्य समाधान की धरातलीय वास्तविकता आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में 2018 में साढ़े ग्यारह लाख से ज्यादा कैंसर के नए मामले सामने आये हैं। इनमे से सबसे बड़ा योगदान स्तन कैंसर का है, जो नए मरीजों एवं मृत्यु दर के अनुसार भारत में सर्वाधिक व्याप्त कैंसर जनित रोग है। कुल रोगियों के मामले में भारत जहाँ चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है वही मृत्यु दर में चीन के बाद दूसरे क्रमांक पर आ गया है। “भारत माता, ग्रामवासिनी” सुमित्रा नंदन पन्त जी की ये पंक्तियाँ भारतीय समाज के ताने बनों को पूर्णतया अभिरुपित करती हैं। इस भारतमाता की आबादी का बड़ा हिस्सा गाँवों में निवास करता है जो सामाजिक आचार-विचार-संस्कार एवं लोक-लाज की नींव पर टिका है। कभी लोक-लाज की ये बुनियाद हीं हमें अपनी व्यथा की अभिव्यक्ति करने से जकड़ लेती हैं। भारतीय परिवेश में महिलाएं स्तन कैंसर से सर्वाधिक प्रभावित हैं जिसका एक अहम् कारण देरी से चिकित्सीय सहायता लेना है।

मोहिंदर सिंह सपत्नीक बीकानेर अस्पताल पहुँच चुके थे। वहां कैंसर पीड़ितों की भीड़ उन्हें व्यथित करने के लिए काफी थी। हिस्टोपैथोलोजी जाँच के लिए डॉक्टर ने एक बड़ी सुई से ट्यूमर का एक हिस्सा लिया।

मूल सुई बायोप्सी © अमेरिकन कैंसर सोसायटी

“रिपोर्ट दो दिन बाद आएगी।” बोलकर उन्हें वहाँ से भेज दिया गया। काफी इंतजार के बाद बलबीर जी की बायोप्सी जाँच का नतीजा आया। वह अपने मेडिकल ओंकोलोजिस्ट के दफ्तर के बाहर बैठे रहे हाथ में जाँच की रिपोर्ट लिए हुए। जब नंबर आया तो डॉक्टर साहब को देखते ही उन्होंने अपने सवालों की झड़ी लगा दी।

“सर, रिपोर्ट में क्या लिखा है?”

“कोई गंभीर समस्या तो नहीं है?”

“मेरी पत्नी ठीक तो हो जाएँगी ना?”

“हम कब सकुशल वापस घर जा सकते हैं?”

डॉक्टर खुराना काफी अनुभव प्राप्त प्रोफेसर थे। ऐसे मौके पर पहले परिवार को उन्होंने शांत किया और ऐनक चढ़ा कर रिपोर्ट पर नजर दौड़ाई।

“अच्छा!” “ह्म्म्म!” “ठीक है”

मोहिंदर सिंह जी की घबराहट बढती जा रही थी। “सब चंगा सी?

“जी। देर आये, दुरुस्त आए।” डॉक्टर खुराना ने ढाढ़स बढाया। आपकी पत्नी को टीएनबीसी यानि ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर है। 

“ये क्या कैंसर से भी बड़ी बीमारी है?” मोहिंदर सिंह से सर खुजलाते हुए पूछा।

“नहीं नहीं, यह स्तन कैंसर का ही एक प्रकार है।” डॉक्टर साहब समझाने लगे। “हमारे शरीर की वृद्धि एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए कुछ रासायनिक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिन्हें हम हॉर्मोन कहते हैं। सामान्य महिला के स्तन के विकास के लिए दो हॉर्मोन्स विशेष भूमिका निभाते हैं, जिन्हें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन कहते हैं। ये हॉर्मोन्स स्तन की कोशिकाओं में प्रविष्ट होकर उनके विकसित होने का सदेश देते हैं। हमारी कोशिकाओं में ईन हॉर्मोन्स का संदेसा प्राप्त करने के लिए कुछ ‘डाकिये’ होते हैं, जिन्हें हम हॉर्मोन रिसेप्टर कहते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन स्तन की कोशिकाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर्स से जुड़ कर उन कोशिकाओं का विकास करते हैं। कई बार ये रिसेप्टर्स अत्यधिक मात्रा में मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से स्तन के किसी हिस्से की अनावश्यक व अत्यधिक वृद्धि होने लगती है जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेते हैं।”

“तो क्या हम इनको रोक नहीं सकते?” मोहिंदर सिंह ने उत्सुकतावश पूछा

“रोक सकते हैं, अगर शुरुआती स्टेज के हॉर्मोन पॉजिटिव केस हों तो।” डॉक्टर खुराना ने जारी रखा। “अभी इन हॉर्मोन रिसेप्टर्स के अलावा एक और हर2 रिसेप्टर की मौजूदगी भी कैंसर की दशा और दिशा निर्धारित करती है। इन तीनों रिसेप्टर्स (एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, और हर2) का या किसी एक का होना रोगी के इलाज में काफी मददगार साबित होता है। ऐसी दशा में हम इन रिसेप्टर्स के खिलाफ असरदार दवाइयां चलाते हैं। अफ़सोस की बात ये है आपकी धर्मपत्नी को ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर है, जिसमें ये तीनों रिसेप्टर्स अनुपस्थित या काफी कम मात्रा में होते हैं।”

“अब क्या होगा डॉक् साSब? मोहिंदर सिंह की व्याकुलता बढ़ गई थी।

“देखिये अध्ययन में इन तीनों के अलावा एक और रिसेप्टर जिसे एण्ड्रोजन रिसेप्टर कहते हैं, वो लगभग 20-30 फीसदी टीएनबीसी में मौजूद होता है। इनके बारे में अभी खोज चल रही है की ये कितने कारगर हो सकते हैं। आप चाहें तो इस शोध का हिस्सा बन सकते हैं।”

“हम्म”

डॉक्टर खुराना ने मोहिंदर सिंह को समझाया। “आप चिंतित नहीं होइए। टारगेटेड थेरेपी ना होने के बावजूद हम इनके ट्यूमर को कीमोथेरेपी से छोटा करने की कोशिश करेंगे। फिर आप स्तन की सर्जरी करवा सकते हैं जिससे हम स्तन को हटा सकते हैं। इसे ‘एमआरएम’ यानि मॉडिफाइड रेडिकल मैस्टेक्टोमी कहते हैं। इससे आपके शरीर में कैंसर का खतरा काफी कम हो जायेगा। शारीरिक सुन्दरता के लिए आप ब्रेस्ट कन्जर्वेसन सर्जरी भी करा सकते हैं, जिसमें केवल ट्यूमर और उसके चारो तरफ से स्वस्थ उत्तक की एक परत हटाई जाएगी। क्लिनिकल ट्रायल्स से यह पाया गया है की इन दोनों तरीकों की सर्जरी से रोगी की उम्रसीमा में कोई खासा अंतर नहीं आता है।”

“जी, जैसा आप उचित समझें” मोहिंदर सिंह ने शांत स्वर में कहा।

“अब हम आपका कीमोथेरेपी का ट्रायल शुरू करेंगे। इससे आपकी पत्नी के सर के बाल जा सकते हैं किंतु इसका असर यह होगा कि उनके स्तन का ट्यूमर छोटा हो जाएगा जिसे हम सर्जरी के द्वारा हटा सकते हैं।” डॉक्टर खुराना ने आगे की प्रक्रिया बताया।

“डॉक्टर साहब मेरी पत्नी ठीक तो हो जाएगी ना इसके बाद?”

 “जी.. जी.. हम पूरी कोशिश करेंगे।”

इसके बाद बलबीर जी की कीमोथेरेपी का दौर शुरू हुआ। डॉक्टर साहब की सलाह के बाद सिंह दंपति ने मोडिफाइड रेडिकल मास्टैक्टोमी का विकल्प चुना। सर्जरी महीने की 9 तारीख को तय की गई। तीन दिन पहले ही बलबीर जी को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया जहाँ उनकी सर्जरी के पूर्व की सारी जांच हुई। इसके पश्चात सर्जिकल ऑंकोलॉजिस्ट्स की टीम ने बलबीर कौर जी का मास्टैक्टोमी ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न किया।

स्तन कैंसर सर्जरी © त्र्यम्बक श्रीवास्तव / डा. सुभ्रदीप करमाकर

उनके ट्यूमर का एक हिस्सा एंड्रोजन रिसेप्टर के ऊपर शोध के लिए सिंह दंपत्ति की सहमति के पश्चात लिया गया।

निकाला गया स्तन कैंसर © त्र्यम्बक श्रीवास्तव / डा. सुभ्रदीप करमाकर

डॉक्टर्स के परामर्श के बाद बलबीर जी का टार्गेटेड रेडिएशन थेरेपी किया गया जिससे बची खुची कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। स्वस्थ होने के पश्चात उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वह डॉक्टर के द्वारा बताए गए दवाइयां नियमित रुप से लेती हैं और शारीरिक अभ्यास भी करती हैं।

अब सिंह परिवार इस तथ्य से वाकिफ है की 5-10 फीसदी स्तन कैंसर अनुवांशिक हो सकता है। बलबीर कौर जी की बेटी या बहन अन्य महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर की तरफ अधिक उन्मुख हैं। डॉक्टर खुराना के दिशा निर्देश के अनुसार उन दोनों ने भी अपनी जीवनशैली में आवश्यक सुधार किए ताकि अनुवांशिक स्तन कैंसर का प्रकोप उनके ऊपर ना फूटे। इस का सकारात्मक प्रभाव यह हुआ की उनके पुरे गाँव को स्तन कैंसर के बारे में जानकारी मिली और अब सभी इस बीमारी के प्रति जागरूक हैं।

भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में जहां प्रति व्यक्ति डॉक्टर या अस्पताल काफी कम संख्या में है बचाव निदान से काफी बेहतर है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में गठित समिति के निर्णय के अनुसार भारत जैसे विशाल देश में जहां जातीय, भाषाई, तथा नस्लीय विविधताएँ पाई जाती हैं, जनसंख्या के अनुरूप में मैमोग्राफी संभव नहीं है। अतः स्तन की स्वयं से या प्रशिक्षित क्लीनीसियन द्वारा नियमित रूप से जांच आवश्यक है खासकर बढती उम्र के साथ। वो कहते हैं ना दुर्घटना से देर भली, तो उसी को आत्मसात करते हुए हमें अपने शरीर के बाह्य एवं अंदरूनी बदलावों का आभास होते ही तत्काल चिकित्सीय सलाह लेनी है।

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।

© त्र्यम्बक श्रीवास्तव

28 फ़रवरी 2021

नई दिल्ली

12 responses to “स्तन कैंसर: भारतीय परिपेक्ष्य में प्रबंधन एवं निदान”

  1. Pawan Kumar Tiwari Avatar
    Pawan Kumar Tiwari

    👌🙏

    1. Tryambak Srivastava Avatar

      Thank you, Pawan ji.

  2. Nirupma Srivastava Avatar
    Nirupma Srivastava

    👍👍👌👌 Great Work.
    Amalgamation of Science & literature.. And just as in form of story telling.👍

    1. Tryambak Srivastava Avatar

      Thank you, sir. 😂

  3. Dr. Alok Avatar
    Dr. Alok

    गंभीर विषय की अत्यंत सहज सारगर्भित प्रस्तुति.. चिकित्सकीय साहित्यक विमर्श एक नयी विधा हो सकती है..बधाई एवं धन्यवाद

    1. Tryambak Srivastava Avatar

      उत्साहवर्धन के लिए आभार. आपके सुझाव से सहमत हूँ. प्रयास रहेगा इस विधा में लिखने का.
      🙏

  4. Mohit Avatar
    Mohit

    very nice description. Keep writing. Stay motivated.

    1. Tryambak Srivastava Avatar

      Thank you for your kind words, Mohit.

  5. Alok Kumar Rai Avatar
    Alok Kumar Rai

    Nice description..
    Great work 👏👏👌👌

    I proud of you 🌹

  6. Varsha Avatar
    Varsha

    Wow. So proud of you. I am really inspired. I will also write my journey in Hindi now as discussed with you earlier.

    1. Tryambak Srivastava Avatar

      Thank you Ma’am. I would love to publish your story here.

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